जर्ज़र शरीर ,बेनूर आँखें, ज़बरदस्ती ओढी हुई मुस्कान ज़िन्दगी तुझे जिया तो मगर ! ठहर गयी रग रग में थकान ! ये जीवन चक्र बचपन जवानी बुढ़ापा फिर बचपन ! कितना मुश्किल है ! बारहा जीवन की ये तड़पन !
जर्ज़र शरीर ,बेनूर आँखें, ज़बरदस्ती ओढी हुई मुस्कान ज़िन्दगी तुझे जिया तो मगर ! ठहर गयी रग रग में थकान ! ये जीवन चक्र बचपन जवानी बुढ़ापा फिर बचपन ! कितना मुश्किल है ! बारहा जीवन की ये तड़पन !