ज़िन्दगी कहाँ है तू

ज़िन्दगी कहाँ है तू ?
उम्र बीती जा रही  
तू नज़र ना आ रही 
नैन राह तकते थक गए 
बेचैन दिल की पुकार सुन ! 
ज़िन्दगी कहाँ है तू ?

माँ की तरह दुलारती
हर तरफ बहार सी
पिता की हिफाज़त सी  
रब की इबादत सी
 ज़िन्दगी कहाँ है तू ?
 
गुरु के मार्गदर्शन सी
अपने घर की छत सी 
पुरसुकून रात सी 
प्रियतम के मान मनुहार सी
ज़िन्दगी कहाँ है तू ?

ऊँगली पकड़ के राह दिखा 
नखरे तू ना दिखा
मुझमे ही रहती है तू  
क्यों मुझे नकारती
ज़िन्दगी कहाँ है तू ?
  
कब तलक मैं राह तकूँ ?
 हैं सांस ये उधार सी !
दिख गयी जो एक बार 
गले लगूंगी बार बार 
रोउंगी मैं जार जार 
ज़िन्दगी कहाँ है तू ?

कहाँ थी तू अब तलक 
झपकूंगी ना मैं पलक 
रह जाउंगी निहारती 
आयी है तू अब के जब 
मौत है पुकारती 
ज़िन्दगी कहाँ है तू ?

सपनों में अक्सर आती है 
ख्वाब तू सजाती है 
हकीकत में आ ना एक बार 
कर भी ले ना मुझसे प्यार 
एकतरफा प्यार को 
है पूर्णता पुकारती 
ज़िन्दगी कहाँ है तू ?

तो क्या हो

अपने आगे सिले हुए होंठ 
और झुका हुआ सर 
किसको अच्छा नहीं लगता 
अगर वो झुके सर वाले तुम हो तो ! 
                      तो क्या हो ?
किसी धर्म से नफरत करने वाला 
अगले जन्म में उसी धर्म में पैदा हो तो 
स्त्री को पैर की जूती समझनेवाला 
किसी दिन सुबह खुद को स्त्री पाए तो !
                      तो क्या हो ?
प्रभु कृपा से खातेपीते हो ,पैसेवाले हो 
सपने में भी गरीब,मज़दूर, बेबस हो जाओ तो 
सब्जबाग दिखा कर दूसरों को लूटते हो 
इसीतरह कोई तुम्हें लूट जाए तो !
                      तो क्या हो ?
 प्रकृति के साथ खेलते हो रात दिन 
प्रकृति तुम्हारे साथ खेले तो 
स्वाभिमान और अहंकार में 
अंतर एक महीन रेखा का ,
गलती से भी वो अंतर मिट जाए तो !
                      तो क्या हो ?

क्या करे कोई

क्या करे कोई ....
जो दिल तक आवाज़ ना पहुंचे 
जो  प्यार रूह तलक ना पहुंचे 
जो अपना ही बोझ हो जाए 
मगर वो फिर भी इतराये 
क्या करे कोई ....  
जो  मेहनत रंग ना लाये
जो  दे दे साया ही धोखा    
जब तुम्हारा प्यार ना अपनाये  
जो बिनगलती अपमान और सज़ा पाए 
क्या करे कोई ...... 
जो सच्चाई और भोलापन, तुम्हारे ऐब हो जाए
जब घुटन हद से बढ़ जाए 
जब कोशिश से भी पुरानी, यादें ना मिटती हों 
जब ज़िम्मेदारी बाकी हो पर शरीर थक जाए
क्या करे कोई ......
जो तेरा जीना हो बेमानी 
जो मरना हो खुद से बेईमानी 
जो रोज़ बिखर के जुड़ता हो   
जब चाहें आगे निकल जाना मगर वक़्त थम जाए 
क्या करे कोई ..........           

मलाल

ये दिल बारहा तुझे आवाजें देता रहा  
सुन के भी रब मेरे! तू अनसुना करता रहा 
अब सुना तो ऐसे सुना ! कि झूमने लगा है दिल 
मलाल बीते सालों का इस दिल से जाता रहा 

अकेले

प्यार किसी से किया न कम,
फिर भी सबको पड़ता कम !  
चारों तरफ अपनों की भीड़ ,
समझा मगर नहीं कोई पीड़ !  
हम तो तनहा रहें अकेले , 
मेले में घुटता है दम !

कोई प्यार मत ढूंढो वहाँ

कोई प्यार मत ढूंढो वहाँ 
जहाँ आज तक मिला नहीं 
ए दिल चल !कहीं और चल!
वो  मंज़िल नहीं जहाँ सुकूँ नहीं
      कोई प्यार मत ढूंढो वहाँ 
      जहाँ आज तक मिला नहीं 

किसी बात का है गिला नहीं 
कुछ मिला !कुछ मिला नहीं!
शायद यही तेरे भले में था 
नहीं आखिरी वो फूल! जो खिला नहीं! 
       कोई प्यार मत ढूंढो वहाँ 
       जहाँ आज तक मिला नहीं 

सब जानते हैं करना प्यार 
करें वहाँ जहाँ इनका मन करे 
तू भूल मत तुझे चाहिए क्या 
उनकी ज़फ़ा तेरी वफ़ा  का सिला नहीं
         कोई प्यार मत ढूंढो वहाँ 
        जहाँ आज तक मिला नहीं 

यूँ दर्द में ना डूब तू  
अपनी भी कीमत कुछ समझ 
करले खुद से दोस्ती 
हमेशा रहती है रात नहीं !
      कोई प्यार मत ढूंढो वहाँ 
       जहाँ आज तक मिला नहीं 

सवालों के घेरे

हर इंसान इतने सवालों के घेरे में क्यों 
 मची दिल में ये हलचल क्यों  
हम जिए हमेशा जिनके लिए 
कम पड़ जाता है सब कुछ उन्हें क्यों ?

दिल में दर्द का समंदर क्यों 
जख्म सीने के अंदर क्यों 
लब सिल लिए हमने यारों 
शोर ज़ेहन के अंदर क्यों ? 

सही गलत क्या,पाना खोना क्या  
नियम कायदे क़ानून हमारे ही लिए थे क्या ? 
प्यार अपनापन सब्र त्याग सेवा
ढलती उम्र में सब हो जाए बेमानी क्यों ? 

अपने ही सवाल कम नहीं हैं 
अपनों के सवालों से जूझे क्यों 
हमने अपनी गलती पे भी 
लोगों को अकड़ते देखा 
हम बिना गलती भी शर्मसार से क्यों ?

आये कहाँ से हम और क्यों 
चले जाएंगे जहाँ से कहाँ और क्यों 
अपने हाल हालात में किया बेहतर से बेहतर 
सम्पूर्ण कुछ हो ही नही सकता यहाँ !
फिर ये सवाल क्यों 

ख्वाहिश शांति की है मंज़िल शांति ही है 
सब कुछ मिटटी है पर दिल में क्रांति क्यों 
सब कुछ अच्छा था अच्छा है अच्छा ही होगा 
नैन बंद ,भाव शून्य ,विचार शून्य ,सुनना शून्य
है सबसे अच्छा क्यों ? 
       ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️ 

सब कुछ

सहज सरल जीवन मिले जिसको 
प्रभुकृपा समझो मिली उसको 
सुख शांति प्रेम  मुस्कान होठों पे
प्रभु प्रसाद समझो मिला उसको 
मगर प्रभु प्रीत ,आभार ह्रदय में हो 
तो समझो सब कुछ मिला उसको 

आशा की डोर

कुछ हसीं ख़्वाब, हौंसलों का साथ
आशा की डोर, कभी ना छोड़
कोई भी रूठे, कोई भी छूटे 
कभी ना टूट, ख़ुद से ना रूठ
 
तुझ से बड़ा, ना छोटा कोई 
कोई खरा, ना खोटा कोई
तेरी लड़ाई, तेरा संघर्ष
बस तेरे लिए, है इसका अर्थ 

तू हमेशा रह, अपने साथ 
यही है पुण्य, नहीं कोई पाप 
जब जब हालात, तुझको दबाएं 
उछल और ऊँचा,स्प्रिंग ये बताये 

हो कोई भी दर्द, है उसका अंत 
तेरे साथ, सदा ही अनंत 
होठों पे तेरे, रहे ये गीत 
है मेरी ज़िद्द, मिलेगी जीत 

कोई भी दे, तुझे झूठी आस 
लगा रह तू, कर हर प्रयास 
रख पकड़ के यूँही, उम्मीद का दामन 
जीवन का खेल, जीते मज़बूत मन