ज़रूरी नहीं ज्ञान ही सिखाता है आपको दुःख परेशानी भी सिखाती है कभी सोकर उठना ही ज़रूरी नहीं आँख खोलने को अज्ञानता अशिक्षा भी आँखें खोलती है कभी जो भी मिला सुख दुःख, पलकों पे उठा ले ज़रूरी था, इसीलिए तराशने को आया कभी कभी सिर्फ जुबां का मीठा होना ज़रूरी नहीं ! साधो मन वाणी विचार व्यवहार सभी प्यार खुशियां अपनापन बांटो सबको कोई करे न करे! तुम तो अपनी मुट्ठी खोलो कभी सच्चे आदमी की कीमत कभी कम नहीं होगी बेईमान को भी सच्चे की ज़रूरत हमेशा पड़ी ! आज ही करले जो है तुझे करना क्या पता जाना पड़े अगली घडी !
सुंदर भाव।
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हार्दिक धन्यवाद !आभार ! : )
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Welcome जी ।
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति |
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हार्दिक धन्यवाद !आभार !
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💜💜
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thank you so much !
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