चाहे तू या मैं ! सब कुछ मिट्टी ही है ! मिट्टी में रहता है मिट्टी ही चाहता है मिट्टी ही पाता है मिट्टी संजोता है मिट्टी ही खोता है फिर भी सबको कुछ कुछ समझता हँसता और रोता है सुन !कितना भी उड़ें हम ! यहाँ सब कुछ मिट्टी में ज़ज़्ब होता है !
चाहे तू या मैं ! सब कुछ मिट्टी ही है ! मिट्टी में रहता है मिट्टी ही चाहता है मिट्टी ही पाता है मिट्टी संजोता है मिट्टी ही खोता है फिर भी सबको कुछ कुछ समझता हँसता और रोता है सुन !कितना भी उड़ें हम ! यहाँ सब कुछ मिट्टी में ज़ज़्ब होता है !