खुदा भी क्या करे इस ज़माने की फितरत पे गुनाह बढ़ रहे हैं और इन्साफ की गुहारें भी ! हमे भी लेनी होगी ज़िम्मेदारी अक्ल तो हमें भी है बख्शी कुछ फैसले हों अपने भी कुछ इन्साफ हों हमारे भी !
खुदा भी क्या करे इस ज़माने की फितरत पे गुनाह बढ़ रहे हैं और इन्साफ की गुहारें भी ! हमे भी लेनी होगी ज़िम्मेदारी अक्ल तो हमें भी है बख्शी कुछ फैसले हों अपने भी कुछ इन्साफ हों हमारे भी !
सुन्दर अभिव्यक्ति |
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thank you soo much Mr. verma ! happy dhanteras ! : )
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