रहके बेखुदी में क्या पा लोगे तुम इश्क़ के मारों कुछ भी ना हुआ न होगा हासिल तजुर्बा कह रहा है खुद को खो दिया हमने भी इश्क़ की राह में मशविरा हमने भी नहीं माना था तजुर्बा हँस रहा है
रहके बेखुदी में क्या पा लोगे तुम इश्क़ के मारों कुछ भी ना हुआ न होगा हासिल तजुर्बा कह रहा है खुद को खो दिया हमने भी इश्क़ की राह में मशविरा हमने भी नहीं माना था तजुर्बा हँस रहा है