शाख पे बैठा हुआ जता रहा पंछी छोटी सी ज़िन्दगी , भरपूर जी हमने आज़ादियाँ अनमोल हैं, अनमोल रहेंगी हीरे की जगह पत्थर ,क्यों चुनें हमने
शाख पे बैठा हुआ जता रहा पंछी छोटी सी ज़िन्दगी , भरपूर जी हमने आज़ादियाँ अनमोल हैं, अनमोल रहेंगी हीरे की जगह पत्थर ,क्यों चुनें हमने