भूल जाओ ना

दबी हुई चोट को उभरने मत दो  
बीते हुए कल को लिपटने मत दो 
बड़ी मुश्किल से गुजरा है ये वक़्त  
गुजरे हुए वक़्त को आवाजें मत दो 
 
संघर्षों की आग में तप कर कुंदन बने हो 
हीरे को वक़्त से धूमिल होने मत दो 
मुश्किल से चैनो सुकून पाया  है   
किसी भी कीमत पे खोने मत दो

बेरहम यादें बख्शती नहीं किसीको 
यादों को दिल का नर्म बिस्तर मत दो 
ये दुनिया ऐसी ही है मान जा दिल मेरे 
अपनी शख्सियत को किसी के लिए खोने मत दो 

किसी को क्या जो तुम्हारे लिए सोचे 
तुम भी खुद को बेदर्द जहाँ में खोने मत दो 
अहम् और स्वार्थ हर तरफ फैला है इस जग में 
बचो ! इस महामारी को खुद से चिपटने मत दो 

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