वक़्त की धार पर जैसे तलवार पर यूँ ही चलते जाते हैं ज़िन्दगी तेरे साथ बहते जाते है ... चाहे वार मिले या प्यार अच्छा हो या हो बेकार यूँ ही सहते जाते हैं ज़िन्दगी तेरे साथ बहते जाते हैं ... चाहे अपने दे ना साथ पराये भी छुड़ा लें हाथ यूँ ही बढ़ते जाते हैं ज़िन्दगी तेरे साथ बहते जाते हैं ... मार्ग में मिले अवरोध कितना भी मिला विरोध यूँ ही लड़ते जाते हैं ज़िन्दगी तेरे साथ बहते जाते हैं ... बिछड़ गए अपने कईं जुड़ गए अपने कईं रब का कर धन्यवाद यूँ ही हँसते जाते हैं ज़िन्दगी तेरे साथ बहते जाते हैं ... ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
बहुत सुंदर
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दिल से शुक्रिया !
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एक बेजोड़ प्रवाह है आपकी रचनाओं में😊❣️
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इतनी सूंदर प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद !आभार !
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