तुझसे ज़ुदा मुझे मेरी हस्ती नहीं चाहिए ए खुदा!मेरे भीतर बाहर बस तू ही तू चाहिए दिया है जो भी तूने इस मांग के आगे है कुछ भी नहीं ये देने को होजा राज़ी तो फिर क्या चाहिए रब मेरे ! मेरी छोटी सी ये इल्तिज़ा तो सुन चारों तरफ तेरी हस्ती की भीनी खुशबू चाहिए सांस में, लहू में, धड़कनों में हो बस तू ही तू हर तरह से रोशन मेरी सुर्ख रूह चाहिए हँसूँ रोऊँ बोलूँ नाचूँ करूँ कुछ भी मैं तुझे पसंद आये 'रब ' तेरी इसमें रज़ा चाहिए