इम्तिहान

इम्तिहान सबकी ज़िन्दगी में हैं तेरी भी और मेरी भी 
ये फैसला कैसे हुआ किसका बड़ा था इम्तिहान 
झुके हम निभाया हमने सबकी खातिर दी कुर्बानी 
तुमने पाया,काबिल थे तुम,क्यों हुआ ये तुम्हे गुमान

महानता

 पुरानी महानता की बात करना, बात है अच्छी 
 मगर आज के हालात का भी जायजा लो ना
 इंसानियत का स्तर रोज़ गिर रहा नीचे 
 महंगाई का पैमाना भी कभी नाप लो ना 
आत्म मुग्ध आप इतने हो गए हो क्यों 
अपने गिरेबान में भी कभी झाँक लो ना 
 

तूफान

तूफान की आमद अंदर या बाहर 
सब कुछ देती  है बदल 
बदल जाता है नजरिया
बदल जाती है अकल
कोई तूफान आता ज़िन्दगी में 
हो जाए सबकुछ उथलपुथल 
दिल डूबे कशमकश में 
कैसे जाऊं मैं इससे निकल 
सबतरह से समेट खुद को 
ताकत लगाते हैं सकल  
अंदर बाहर भड़के तूफान 
साँसें भी हो जाती विकल
आखिर थमेगा ही तूफ़ान 
बच जाती है सबकी जान 
पर ये हो जाता है क्या !
वही रहते नहीं हम,जाते हैं पूरे बदल 
समझ नहीं पाते कि कैसे जीते 
कैसे पिया ये गरल 
फिर भय नहीं रहता कोई 
छिनने का नहीं रहता डर                
सहज मुस्कान नैन सजल 
दिल में जले हिम्मत की अनल 
वही रहते नहीं हम,जाते हैं पूरे बदल 

कदम

 आप कदम पीछे हटा रहे हैं ? 
 ये भूल का है अहसास या सुनहरे 
 ख्वाब बिखरते नज़र आ रहे हैं 
 नज़र आ रही है हार या है पश्चाताप   
 प्यार से नरम तेवर दिखा रहे हैं !....... 

वक़्त

पता चले ना चले , वक़्त गुजर जाता है 
शाम जब आती है , सूरज भी ढल जाता है 
ज़िन्दगी  की शाम से इतना ना घबरा 
वक़्त की क़द्र कर ,दिन ज़रूर आता है 

कोई समझे या ना समझे तुझे दोस्त 
गौर कर खुद को तू कितना ,समझ पाता है     
कोई अंधा सिर्फ आँखों से नहीं होता 
दिलोदिमाग का पर्दा बड़ा सताता है

लब मुस्काते  हैं उसके और आँखे सूनी  
होता है यूँ दर्द जब हद से गुजर जाता है  
क्यों समझते हैं हमे लोग कमज़ोर 
हमारे साथ भी, भीतर भी, विधाता है 

आप होंगे बहुत मशहूर ,अमीर ,काबिल माना  
हम खड़े हैं सामने तो कुछ तो हमे आता है 
पता चले ना चले , वक़्त गुजर जाता है 
शाम जब आती है , सूरज भी ढल जाता है 
               ✍️ सीमा कोशिक 'मुक्त' ✍️ 


मशहूर

शराब भड़काती है ज़ज़्बात 
शायर नहीं बनाती ज़नाब  
अगर ऐसा हो तो 
हम भी मयखाने में घर बना लें 
अपनी किस्मत आज़मा लें   
शायद हो जाएँ मशहूर हम भी 
खुद को बेहतर शायर बना लें 

दिलदार

जिसको है खुद से प्यार उसे ही है सबसे प्यार ... 
वो दूसरों में भी देख लेता है अपना ही अक्स यार  !
दूसरों के दर्द में भीग जाए जिसका मन ...
 हो खुद पे इख्तियार ,है वही सच्चा दिलदार !

भूल

अपनी भूल मामूली गलती, दूसरे की पाप !
दूसरे हैं कसूरवार और मासूम आप !
झुकाना चाहिए सर जिनको,तन के खड़े हैं वो
आँख से आँख मिलाकर कर रहे हैं बात ! 

प्यार

हम प्यार के फलसफे को कुछ गंभीरता से ले बैठे 
कि 'प्यार लेने का नहीं सिर्फ देने का नाम है' 
प्यार देते रहे हम और लेते रहे वो !
बांटा अपना प्यार दूसरों में ! हमें तन्हाई ही दे बैठे !