तफ़सील से हमारे बारे में वो बताता चला गया हम टोकते रहे लेकिन वो सुनाता चला गया मालूम नहीं था उसे जान गए हैं हम खुद को मगर वो फिर भी हमें हमसे मिलाता चला गया खुद को तो जानते थे मगर न जानते थे उसे बेख़बरी में वो खुद से मिलाता चला गया हम खुद से ज़्यादा भरोसा करते थे जिस पर हमदर्दी का ज़नाज़ा वो उठाता चला गया हमारे रंजोगम से नहीं था उसे कोई लेना देना वो हमे अपने दुःख दर्द सुनाकर चला गया जिन्हें बड़ी आस है इस ज़माने से सुन लो वो बुज़ुर्गों से मिला सारा मुग़ालता चला गया वो किरदार बहुत ऊँचा है इसपे कोई शक न हमे खुद पे बात आने पे क्यों प्यार का लहज़ा चला गया शिकवे शिकायतों को रखो दिल में है बेहतर सोचो क्या होगा जो वो हमे रुलाता चला गया हमें भी आदत थी बहुत हर दर्द पे कराहने की जब देखा दर्द ज़माने का अपना चला गया रूठ कर हमसे ना जाओ भरी महफ़िल से हम रूठे तो कहोगे मैं मनाता चला गया
Masterpiece, classic🌹🌹
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