मुझको आवाज़ तुम देते रहना मेरे हो मेरे रहोगे ये कहते रहना उम्र का लम्बा सफर, तय किया तुझ संग जाना मेरी वफाओं का जवाब तुम बनते रहना तेरे बिन दिन तो जैसे तैसे गुजर जाता है मेरी हर शाम का साथ तुम बनते रहना साथ रहतें हैं तो होते हैं शिकवे शिकायत भी नजरअंदाज करके उन्हें हमसे मिलते रहना तू मेरी धड़कन मेरी साँसों से रूह तक पहुंचा अब तो तेरे साथ ही होगा जीना मरना हमने तन्हाई को साथी बना रखा है मेरे लिए सीने में तेरे ज़ज़्बात हैं ना? ये दोनों हाथ उठा रब से दुआएं माँगूँ जब तक हो सांस हमारा साथ हो ना कृष्ण की बंसी बजे राधा दौड़ी आये वैसे आवाज़ पे तेरी मैं दौड़ी हूँ ना मुझको आवाज़ तुम देते रहना मेरे हो मेरे रहोगे ये कहते रहना ️✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
बहुत सुन्दर |
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thank you ! : )
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Beautiful, you have expressed my thoughts which I could not express. Thank you.
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thank you so much ! : )
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Bahut hi sundar kavita… Liked it 👍💯
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बहुत खूब
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dhanyvaad aapka ! 🙂
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सुंदर…बहुत लालसा से भरी
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thank you so much ! : )
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