पर्वत पे ज़मी बर्फ सा, जम गया था दर्द हवाएं चल रही थीं, रात थी एक सर्द देखा जो उसने प्यार से, फिर से एक नज़र पिघला दर्द रिसने लगा, चेहरा हुआ ज़र्द चेहरा हुआ ज़र्द नज़र फेर ली हमने दर्द बांटता है जो ! वो कैसा हमदर्द
पर्वत पे ज़मी बर्फ सा, जम गया था दर्द हवाएं चल रही थीं, रात थी एक सर्द देखा जो उसने प्यार से, फिर से एक नज़र पिघला दर्द रिसने लगा, चेहरा हुआ ज़र्द चेहरा हुआ ज़र्द नज़र फेर ली हमने दर्द बांटता है जो ! वो कैसा हमदर्द