दूरियाँ बढ़ गयी दिल में अगर आप क्यों मेरे करीब आते हैं क्या बच गया कोई फ़रेब आप यूँ सब्ज़बाग दिखाते हैं आपसे प्यार हमें है माना मगर धोखा बार बार नहीं खाते हैं ज़ेहन में गहरे बसे हुए हो आप क्यों नाज़ायज़ फायदा उठाते हैं रुकोगे जब तलक हमें यकीन नहीं यकीन आया तो कहोगे कि जाते हैं हम तेरे लाख राज़दार वफादार सही फिर हमसे ही राज़ क्यों छुपाते हैं आप दिखाते हैं हमें प्यार मगर ज़ख़्म फिर से हरे हो जाते हैं जब दिल ने दूरी बना ली है आप क्यों मेरे करीब आते हैं