नशा है अहंकार का, रहता है वो मस्त शायद याद नहीं उसे, सूरज भी हो अस्त ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त'✍️
Month: January 2022
शब्द
कुछ कहते हैं कि शब्द कह दिए जाएँ तो जाते हैं मर मेरा ख़याल है कि कह दिए जाएँ तो हो जाएँ अमर हर शब्द जो निकले मुख से,चुना हुआ दिल से हो ! ब्रह्माण्ड में हो प्यारे सुंदर शब्दों का खुशनुमा असर
देशभक्ति का मर्म
देशभक्ति का मर्म तू जान ! संविधान का कर सम्मान फिर कह मेरा भारत महान सर्वधर्म सद्भाव ,प्रेम विश्वास इनसे ही मिलता है समाधान संविधान का कर सम्मान फिर कह मेरा भारत महान घटते जाते जीवन मूल्य सच्ची देशभक्ति है अमूल्य परिभाषा क्यों बदली इसकी झूठा क्यों लगता गुणगान संविधान का कर सम्मान फिर कह मेरा भारत महान अशिक्षा बेरोज़गारी और इलाज़ इनके क्षेत्र में पिछड़ा समाज अब महंगाई ने कमर तोड़ दी कैसे पाए देश सम्मान संविधान का कर सम्मान फिर कह मेरा भारत महान संविधान और कानूनों में संशोधन तो होते ही आये वर्षों से फिर क्यों शहीदों किसानों से बड़ा हुआ सरकार का मान संविधान का कर सम्मान फिर कह मेरा भारत महान हाँ बहुत लोगों की कुर्बानी मिली तभी ये देश खड़ा मुट्ठी भर स्वार्थी लालची लोगों ने किया अपमान संविधान का कर सम्मान फिर कह मेरा भारत महान यूँ तो हम अपनी सेनाओं पर अमिट गर्व करते हैं गलत नीति कूटनीति की भरपाई वो सदा करते हैं कहाँ चला जाता है तब देश के वीरों का सम्मान संविधान का कर सम्मान फिर कह मेरा भारत महान देशभक्ति का मर्म तू जान ! ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
पिता का बिछोह
पिता अस्वस्थ और वृद्ध हों एक दिन जाना ही होगा हम सभी जानते हैं मगर ये विरह कैसे सहेंगे नहीं जानते हम मगर जाना पिता का जैसे सर से साया हटना घने वृक्ष की छाँव का दुनिया के मेले में अचानक हाथ छूटा खोया सा बच्चा दुःख अवसाद असुरक्षा भी घेरती कभी कभी पिता जो कभी कड़क कभी मृदुल अहसास से हमेशा पाया नारियल सा अंदर से कोमल भाव के पिता की आँखों से ही डरते थे यदि होते गलत हर समस्या का हल थे जो उनकी सीख बनेंगी अब हर हल पिता की भावनाएँ सदा रहती हैं अव्यक्त पर पिता की परवाह अक्सर प्यार और डाँट में आती स्पष्ट पिता माँ बच्चों के लिए हमेशा एक सुरक्षा कवच पिता का हाथ सर पे रहा तो हर श्रम सार्थक हुआ आपका प्रतिरूप जिसने हमें जग में पाल-पोस बड़ा किया हे परमपिता,हमारे पिता को निज चरणों में तू स्थान दे हम सभी उनकी आत्मा को पूर्ण मान और सम्मान दें ।
64.दोहा
मन की आँखों से पढ़ें, यदि पी का सन्देश तन-मन को ऊर्जा मिले, मिटें ह्रदय के क्लेश ️✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
लक्ष्य
कामयाबी के सफर में बहुत ज़रूरी धूप ज्यों धूप ढलने लगे पाँव थकें अनुरूप मंज़िल के भ्रम में रुकने लगते हैं पाँव बीच सफर में ठहरते समझ लक्ष्य का रूप
63.दोहा
मिटता देहाध्यास तो ,होवें जीवन मुक्त जन्म-मरण से मुक्त हों, यही राह उपयुक्त ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त'✍️
आशीर्वाद
माँ-पापा आपको समर्पित -: दिल में आगे बढ़ने का इरादा ज्यों का त्यों दिन रात मेहनत का जज़्बा,ज्यों का त्यों आपकी याद आपकी सीख आपका प्यार सीने में लें हिलोरें ...... आपका हाथ मेरे सर पे, आशीर्वाद ज्यों का त्यों ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
62.दोहा
नाती पोते गोद में, तुतलाती आवाज़ जी! बुज़ुर्ग कहते सही, प्रियम मूल से ब्याज़ ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त'✍️
शून्य
सहज सरल और नम्र बनें, यही जीवन में अनमोल ज्ञानी हो चाहे जितना बड़ा, इनके बिना शून्य गोल ️✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️