*शिव 'भव' 'नित्य' 'अनन्त' हैं , शिव सबके आधार* *औढ़र दानी दुःख हरो, जन जन का उद्धार* ️✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
Month: February 2022
94. दोहा
*संवेदना रहीं कहाँ, सब संवेदन हीन* *दर्द बाँटते सब यहाँ, ख़ुद बनते हैं दीन* ️✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
93.दोहा
*तन मन में तुम हो बसे, ह्रदय बसे हो राम* *नैना मग़र तरस रहे, नहीं कहीं विश्राम* ️✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
92.दोहा
*सूनी दिल की राह है, सूना है घर द्वार* *कृष्ण बजाओ बाँसुरी, थमे ह्रदय उदगार* ️✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
खोना
आँखों में नींद की ख़ुमारी, पर सोना नहीं है दिल दर्द से ...लबालब ... रहे, रोना नहीं है बहुत कुछ बीता ..बिछड़ा.. बिखरा..दोस्त बहुत खोया ..अब हमें और.. खोना नहीं है
1.गद्य गीत
एक संयुक्त परिवार था सब कुछ अच्छा था प्यार भी सच्चा था सब अपने थे पूरे हुए सपने थे पत्नी बच्चों को पालने और घर के कामों में व्यस्त पति अपने कामधंधे में व्यस्त एक दिन पति घर आया जैसे घर में भूचाल आया वो बेवजह चीखा और चिल्लाया अपनी बीवी को सबके सामने नीचा दिखाया मीनमेख निकालीं कमियाँ गिनाईं बीवी सोचती रही, 'गलती कहाँ हुई भाई ' वो समझी नहीं उसकी नज़र चोर है उसकी निग़ाह में अब कोई और है वो नशे में चूर था नशा कमाने का नशा बहुत कुछ पाने का वो क़ामयाबी पचा नहीं पा रहा था जो पत्नी के सहयोग से पा रहा था पत्नी जो माँ थी जिसे थी परवाह जहाँ की मुश्किल था अकेले जीवन बिताना ज़िम्मेदारियों को पूरा करना वो थी माँ, पिता नहीं पति के साये में रहना ज़रूरी ये सीख कानों में गूंजती रही और वो सहती रही सब अपमान कुचल गया स्वाभिमान और फिर वक़्त बीत गया बच्चे बड़े हुए, पिंजरा खुला बच्चे पिंजरे से निकल गए लेकिन वो फिर भी वहीँ खड़ी थी मगरूर साथी का सहारा बनकर क्यों? क्या प्यार के लिए ? समाज के लिए?पति बच्चों के लिए ? या माँ बाप की इज़्ज़त के लिए ? उसकी ये कमज़ोरी किसकी देन है ? आज उसका ख़ुद से, सबसे, यही सवाल !
बेटी का हॉस्टल जाना
किसी अति भावुक इंसान ने जब ये कहा की बेटी का हॉस्टल जाना उसकी पहली घर से विदाई है ,तो मैं रह नहीं पायी ये लिखे बिना........ "बेटी का हॉस्टल जाना" विदाई दिल से की है तो वो विदाई है नहीं तो लाड़ली तेरी कहाँ परायी है दिल के और करीब ही हो गयी है वो जब से दूजे शहर में पढ़ने आयी है तेरा प्यार, बिटिया की कमज़ोरी न बने तू बने ताकत इसमें, दोनों की भलाई है ससुराल में भी एक नया घर बसाती हैं तेरे ही नाम को रोशन वो करती जाती हैं गौर से देखेगा तो तुझे मालूम होगा यही तेरे ही अंश ने ये दुनिया नयी बसाई है एक दिन गर्व होगा तुझे उस पर तेरी मेहनत क्या सुंदर रंग लायी है सदा छोटी गुड़िया तो नहीं रह सकती वो हमेशा तेरे पास तो नहीं रह सकती वो तुमने भी तो अपना घर कभी बसाया था माँ बाप को तू भी तो कभी छोड़ कर आया था उसे भी छूने दे उसका आसमान,सुन भाई मत कह उसे ये है उसकी पहली विदाई
इंसान
आसान नहीं है इंसान होना जाए कोई रब को ये बताये हमने कब मांगी थी ज़िंदगानी दी है तो हमें यूँ न आज़माये ️✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
गुलशन
*महका गुलशन, महके मन, महकी मस्त बयार* *नित रंगबिरंगे फूलों से, मेरा सज गया घर संसार* *मस्त हवाएँ दिल के साज़ पे गायें प्यार का नग़मा* *हृदयदीप प्रज्ज्वलित हुआ, मिटा रहा अंधियार* ️✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
मुमकिन
है मुमकिन हर दर्द रंजो गम का बोझ उठा ले कोई नहीं मुमकिन गिरी हुई सोच को उठा लेना है मुमकिन किसी रिश्ते में प्यार के बगैर रहे कोई नहीं मुमकिन विश्वास के बगैर रहना मगर रहते हैं कुछ लोग प्यार विश्वास के बिना भी इसी को कहते हैं रब की मर्ज़ी को निभा लेना फ़क़ीर लगते नहीं ये लोग, होते हैं उन जैसे ही दीवाने झट रब की मर्ज़ी में, अपनी मर्ज़ी मिला लेना मुमकिन है मिटा दो यादों का, कारवां तुम ज़ेहन से यारा नहीं मुमकिन हमें, अपने दिल से मिटा देना ️✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️