हमारी इल्तिज़ा पे बेरुखी से मुँह यूँ मोड़ा पकड़ा था हाथ प्यार से जो झटक के छोड़ा करो कबूल दिल से या साफ़ कह दो तुम नहीं पूछेंगे तुमसे प्यार भरा दिल क्यों तोडा
हमारी इल्तिज़ा पे बेरुखी से मुँह यूँ मोड़ा पकड़ा था हाथ प्यार से जो झटक के छोड़ा करो कबूल दिल से या साफ़ कह दो तुम नहीं पूछेंगे तुमसे प्यार भरा दिल क्यों तोडा