मेरे दिल का गुलाब खिल रहा, आहिस्ता आहिस्ता
तेरा प्यार कर रहा दिल पर असर, आहिस्ता आहिस्ता
तेरा इंतज़ार किया है बहुत यारा
हो रहा तू दिल के करीब, आहिस्ता आहिस्ता
दूर तक खिल रहे है फूल ही फूल
महक रहा है ये तन मन, आहिस्ता आहिस्ता
रात में चाँद को मैं तकती रही देर तलक
चाँद शरमाया आँखों से, आहिस्ता आहिस्ता
तारों की भी हिम्मत देखो
पूछते हैं कौन है वो, आहिस्ता आहिस्ता
हम तो समझे थे हो गए पत्थर हम
कैसे हुए मोम हम, आहिस्ता आहिस्ता
इतना मीठा है क्या प्यार का अहसास
रूह भी महके हरदम, आहिस्ता आहिस्ता
सिर्फ नज़र आये वो, कोई और नहीं
हम तो रहने लगे मदहोश, आहिस्ता आहिस्ता
A beautiful poem. I was able to read through a translator. Is there a way to add that to your site? Or do you have it and I am not seeing it? Thank you.
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