ए इश्क़ हमें भी देख ज़रा हम पलकें बिछाये बैठे हैं हँस कर देख ले एक नज़र हम जान लुटाये बैठे हैं ए इश्क़ हमें भी देख ज़रा हम पलकें बिछाये बैठे हैं सूना सूना मन का अँगना सूनी सूनी दिल की गलियाँ सूनी आँखें तकती राह तेरी हम ख्वाब सजाये बैठे हैं ए इश्क़ हमें भी देख ज़रा हम पलकें बिछाये बैठे हैं क्या है जीना इश्क़ बिना क्या है मरना इश्क़ बिना है इश्क़ इबादत अब मेरी हम हाथ उठाये बैठे हैं ए इश्क़ हमें भी देख ज़रा हम पलकें बिछाये बैठे हैं यूँ इतराना तेरा कैसा यूँ इठलाना तेरा कैसा जीना नहीं यारा तेरे बिना हम आस लगाए बैठे हैं ए इश्क़ हमें भी देख ज़रा हम पलकें बिछाये बैठे हैं तेरा गम का है रिश्ता सही तेरे साथ है गम मंज़ूर हमें तुझ से कैसी पर्दादारी हम साथ निभाए बैठे हैं ए इश्क़ हमें भी देख ज़रा हम पलकें बिछाये बैठे हैं ️✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️