कितनी कोशिश रहती है पर कुछ कह नहीं पाती हूँ लिखते लिखते फिर भी मैं अक्सर कह ही जाती हूँ अन्तरमुखी ..रही हूँ मैं तो ....पूरा जीवन बीत गया पर जाने क्यों अब तो मैं सब कुछ कहना चाहती हूँ
कितनी कोशिश रहती है पर कुछ कह नहीं पाती हूँ लिखते लिखते फिर भी मैं अक्सर कह ही जाती हूँ अन्तरमुखी ..रही हूँ मैं तो ....पूरा जीवन बीत गया पर जाने क्यों अब तो मैं सब कुछ कहना चाहती हूँ