नहीं मुमकिन इस जहाँ में कुछ भी मुकम्मल पाना मुकम्मल तो सिर्फ रब 'था' 'है' और 'रहेगा' जो अपनाये एक दूसरे की कमी को समझ के अपना मुकद्दर का सिकंदर सिर्फ वही रहेगा
नहीं मुमकिन इस जहाँ में कुछ भी मुकम्मल पाना मुकम्मल तो सिर्फ रब 'था' 'है' और 'रहेगा' जो अपनाये एक दूसरे की कमी को समझ के अपना मुकद्दर का सिकंदर सिर्फ वही रहेगा