*नैना अँसुअन से भरे, टिप-टिप हो बरसात* *समझाया इन्हें बहुत, मानते न ये बात* ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
Month: March 2022
सुनिश्चित
जब कोई अपनी सफलता, मान-सम्मान यश-कीर्ति नहीं रख सकता कायम 'सुनिश्चित' ही है ये जब ताकत के नशे में वो तोड़े सभी हदें, मर्यादा या नियम ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
अच्छाई-बुराई
हर तरफ बुराई हावी है ! बुरे लोग इसलिए बनते हैं हम अच्छी बातों के लिए किसी को सम्मान नहीं देते अच्छाई का विश्वास नहीं करते उसे पहचान नहीं देते सौ अच्छी बातों का जिक्र नहीं, दो बुरी आदतों का बखान है समाज के इन महान लोगों को मेरा प्रणाम है ! अच्छाई का प्रचार करो उसीको बढ़ावा दो बुरे लोगों की उपेक्षा करना ही समाधान है प्यार और विश्वास की डोर आओ मज़बूत करें प्यार और विश्वास से ही टिका ये जहाँ है अच्छाई बाँटें हम सब बिना किसी से अपेक्षा रखे बुराई के लिए कड़ी दृष्टि और सज़ा का प्रावधान है
रात
ये रात महकती है, बात बहकती है नैन झुके हैं मेरे, लब खामोश जी कभी तो आ इस जीवन में बहार बन प्यार के सरूर में, हुए मदहोश जी रूठने मनाने का, सिर्फ बहाना था पास बुलाना था, झूठा है रोष जी तेज तेज साँसें हैं, दिल लगा झूमने कैसे बताऊँ अब, नहीं मुझे होश जी प्यार की कहानी,धड़कन की ज़ुबानी धीरे से सुनो मुझे, लो आगोश जी ये रात महकती है, बात बहकती है नैन झुके हैं मेरे, लब खामोश जी ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
110.दोहा
*संगम स्वर्णिम तब बने, मीत निभायें साथ* *धन्यवाद प्रभु आपका, जोड़ूँ दोनों हाथ* ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
109.दोहा
*साजन मेरी प्रीत का, रखो हमेशा मान* *इक दूजे के दर्द से, मत रहना अनजान* ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
108.दोहा
*हाथों में हों हाथ प्रिय, जीवन की ये सांझ* *सदा निहारो प्यार से, कहती दिल की झांझ* ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
107.दोहा
*निर्मल बंधन प्रेम के, रहते सदा अटूट* *मेरे जीवन मीत तुम, कभी न जाना रूठ* ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
106.दोहा
स्वर्णिम सालगिरह मनी, स्वर्णिम प्यारे बोल आप साथ रहिये सदा, साथ बड़ा अनमोल ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
मौन
ह्रदय सुनता है तू रोज़ जाने कितनी ही आवाज़ पर है ज़रूरी सुनना कभी कभी मौन की आवाज़ तेरी आत्मा के तार को मौन परमात्मा से जोड़े गहन गुत्थियां सुलझें बजे मीठा दिल का साज़ ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️