दिल की बेचैनियों की लाख हैं वजहें कैसे कोई यहाँ अपना सुकून पाए हमारी रूह का परिंदा फड़फड़ाये करें लाख जतन पर न चैन पायें बंद कमरे में होती है घुटन जैसे अंदर ही अंदर ये तो कसमसाये असर दिखलाता है हमे कुछ ऐसा रोज़ नया करना, नया ही पाना चाहे करें लाख जतन पर न चैन पायें ध्यान योग सदा ही सहारा बनता मग़र मन की बेचैनी मिट न पाए ख्वाहिशों और ख़्वाबों में घिरा,नादाँ ज़िन्दगी की ज़द्दोज़हद तड़पाये करें लाख जतन पर न चैन पायें
Beautiful poem
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thank you so much dear !
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