आज की मुलाकात ये, क्यों ले रही है इम्तिहां कह रही ख़ामोशियाँ, गुज़रे वक़्त की दास्तां रूबरू हम आ गए, सोचा भी न जो ख़्वाब में रूह से रूह मिली, ज़िंदा रहा इश्क़ दरम्यां
आज की मुलाकात ये, क्यों ले रही है इम्तिहां कह रही ख़ामोशियाँ, गुज़रे वक़्त की दास्तां रूबरू हम आ गए, सोचा भी न जो ख़्वाब में रूह से रूह मिली, ज़िंदा रहा इश्क़ दरम्यां
बहुत सुन्दर/
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thanks a lot !
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