एक दबी हुई चिंगारी..........रह..रह के सुलग उठती है बेचैन दिल में बारहा...कैसी सी...एक हूक सी उठती है लब खामोश हैं उसके और ....शबनमी आँखों में तूफ़ान मगर दिल की आग आँखों के पानी से भी कहाँ बुझती है
एक दबी हुई चिंगारी..........रह..रह के सुलग उठती है बेचैन दिल में बारहा...कैसी सी...एक हूक सी उठती है लब खामोश हैं उसके और ....शबनमी आँखों में तूफ़ान मगर दिल की आग आँखों के पानी से भी कहाँ बुझती है