है तो है

हमें तुमसे प्यार है तो है 
हमें ख़ुद पे एतबार है तो है
फर्क नहीं पड़ता तू चाहे न चाहे 
हमारी चाहत बरकरार है तो है 
कोई हमारे साथ हो न हो 
रब हमारे साथ है तो है 
हम कितना भी करे सबके लिए मगर  
सभीको हमसे शिकायत है तो है 
छोड़ो ये सुख-दुःख का रोना धोना 
सुबह के बाद शाम, दिन के बाद रात है तो है 
आज पा लिया हो चाहे जितना 
कल बहुत कुछ पाने का अरमान है तो है 
माफ़ी मांगी हों लाख तुमने गुनाहों की 
मगर दिल में हमारे कसक है तो है 
माना नहीं हक़ हमारा किसी की ज़िन्दगी पे 
मगर कुछ बातों पे ऐतराज़ है तो है 
लोगों को भाती होगी समझदारी लेकिन 
हमें मासूमियत लुभाती है तो है 
छोड़ो घुमा फिरा के बातें करना ज़नाब 
आपको हमसे प्यार है तो है 
आती हैं हमें कईं जुबानें लेकिन 
अपनी हिंदी से प्यार है तो है 
कोई भी जाति-धर्म हो मेरा मगर 
इंसानियत से प्यार है तो है 
घर पर तिरंगा नहीं फहराते हम 
पर दिल में तिरंगा है तो है 
देशभक्ति के दावों से लाख बचें 
मगर देशभक्ति रगों में है तो है 
कहीं भी हो जन-मन-गण हो साथियों 
मन राष्ट्रीय गान गुनगुनाता है तो है …
          ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️ 










Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s