ह्रदय सुनता है तू रोज़ जाने कितनी ही आवाज़ पर है ज़रूरी सुनना कभी कभी मौन की आवाज़ तेरी आत्मा के तार को मौन परमात्मा से जोड़े गहन गुत्थियां सुलझें बजे मीठा दिल का साज़ ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
ह्रदय सुनता है तू रोज़ जाने कितनी ही आवाज़ पर है ज़रूरी सुनना कभी कभी मौन की आवाज़ तेरी आत्मा के तार को मौन परमात्मा से जोड़े गहन गुत्थियां सुलझें बजे मीठा दिल का साज़ ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
बहुत सुंदर |
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thanks a lot !
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