प्रदत्त शब्द - माता दरबार विधा-मुक्तक *देखो माता का दरबार, कितना भव्य और निराला है* *जब जिसने सिर झुका लिया, अपना भाग्य ही संवारा है* *इस मात-दरबार की शान निराली, और अमिट है महिमा* *मैया के चरणों में सदा मिलता, खुशियों का ख़ज़ाना है*
प्रदत्त शब्द - माता दरबार विधा-मुक्तक *देखो माता का दरबार, कितना भव्य और निराला है* *जब जिसने सिर झुका लिया, अपना भाग्य ही संवारा है* *इस मात-दरबार की शान निराली, और अमिट है महिमा* *मैया के चरणों में सदा मिलता, खुशियों का ख़ज़ाना है*