बेवफा को छोड़कर ...अक्सर.... सभी चल दिए वो कुछ अलहदा थी जो जालिम को मनाती रही जानती थी वो नहीं सुनेगा ...उसके दिल की बात जाने क्यों फिर उसे दिल की....सदा सुनाती रही
बेवफा को छोड़कर ...अक्सर.... सभी चल दिए वो कुछ अलहदा थी जो जालिम को मनाती रही जानती थी वो नहीं सुनेगा ...उसके दिल की बात जाने क्यों फिर उसे दिल की....सदा सुनाती रही
समझ से बाहर है…
बेबफाई के बाद किस हक से …?
क्योंकि सच्चे युगल में
दोनों में से हर एक
केवल उस दूसरे के प्रति समर्पित हो जो उसका है और जिसका उसपर अधिकार है…!
यदि सच्चा समर्पण नहीं तो रिश्ता कैसा ?
हाँ रेप और विभिन्न प्रकार की विषमताओं से उपजी विवशतावश किये जाते सौदों को… जफा का आधार नहीं माना जाना चाहिये वह उससे बड़ी वफा का दर्जा हासिल है जिन खुशनसीबों का इससे वास्ता नहीं पड़ा.. !
दोनों में किसी की भी वेवफाई के बाद एक रूठे साथी की दूसरे से सहज रहने की अपेक्षा ही अनुचित है…!
मेरा स्पष्ट एवं स्थिर अभिमत है कि …
सरस संसार का आधार सभ्य समाज है और सभ्य समाज की इकाई सुसंस्कृत परिवार… परिवार संस्था पर प्रहार संसार के आधार को हटाने जैसा दुष्कृत्य प्रमाणित होगा…!
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(… दोनों में से हर एक को केवल उसके प्रति समर्पित होना होता है … जो….. )
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बहुत सूंदर कथन आपका !मैं आपकी बात से अक्षरश: सहमत हूँ। “सरस संसार का आधार सभ्य समाज है और सभ्य समाज की इकाई सुसंस्कृत परिवार… परिवार संस्था पर प्रहार संसार के आधार को हटाने जैसा दुष्कृत्य प्रमाणित होगा…!”सादर धन्यवाद !💐💐💐💐👏👏👏👏👏
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सार्थक टिप्पणी का हृदय तल से आभार !
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