कमी बताना तुम कभी, सदा जहाँ एकांत। कहे न सबके बीच में ,कोई भी संभ्रांत।। ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
Month: April 2022
134.दोहा
रहो लीन तुम ध्यान में, कुछ क्षण हो एकांत "सोहम" साँसों से जुड़े, कहता है वेदांत ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
133.दोहा
यदि चाहो ख़ुद से मिलन, आवश्यक एकांत। ह्रदय कमल तब ही खिले, मन भी रहता शांत।। ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
मन के घाव
शरीर ही नहीं मन के घाव भरने में वक़्त तो लगता है उफ़ !मुरझाये दिल को फिर से खिलने में वक़्त तो लगता है आप कहें और हम मुस्कुरा दें कोई मशीन नहीं है हम फिर गले लगाने में जीवन को थोड़ा वक़्त तो लगता है ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
132.दोहा
व्याकुल मनवा बावरा, देखे पी की बाट प्रेम का न उपचार है, न ही प्रेम की काट ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
131.दोहा
कान्हा से ही प्रीत हो, कान्हा का ही ध्यान कृष्ण रंग में डूब के,पा जाओ निर्वान ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
130.दोहा
सर्व रहे मंगल तभी, हिय में रहे न पाप। साफ़ हृदय हो ख़ुश सदा, मिटें सभी संताप।। ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
129.दोहा
अनुभव मिले इनाम में, युव-शक्ति है कमाल इन दोनों के मेल से, कटता मुश्किल जाल ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
127.दोहा
जो अनुभव का मान हो, हो जीवन आसान इनकी रायों को मनुज, हीरा-मोती जान ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
128.दोहा
हर दुख़ से अनुभव मिले, हो सुख़ से आराम दुख तब ही अनमोल है, है आराम हराम ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️