हसरतें

दिल की हसरतें पूरी हों भी जाएँ, तो क्या 
कुछ पल को अगर सुकून मिल भी जाए, तो क्या 
यकीनन दिल में फिर जन्म लेगी नयी हसरत,
फिर तड़पेंगे हसरत मुकम्मल भी हो, तो क्या

ज़िन्दगी के सफर में, हसरतों के मेले हैं  
आज ये रही कल वो, न भी पूरी हों, तो क्या  
इस मेले से निकल, पाले सुकून का जीवन 
सुकून के बिन हसरतें पूरी भी हों, तो क्या 
         ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️      

प्यार और दर्द

जो ज़रूरत से करे प्यार ..........वो प्यार ही ,होता है कहाँ
दर्द बर्दाश्त से बाहर हो............ तो वाज़िब, होता है कहाँ
इस दुनिया में मिल कर भी,किसी को,नहीं मिलता कुछ भी 
पर प्यार और दर्द के बिन ........जीवन यहाँ, होता है कहाँ

ज़रूरत

यूँ तो किसी को किसी की भी सदा ज़रूरत नहीं होती 
पर ये सुनना बड़ा मुश्किल ! अब मेरी ज़रूरत न रही।
 
कुछ नहीं रहता बाकी कहने सुनने को,सब सकल ख़त्म 
जब बोल दिया अपनो ने ! अब मेरी ज़रूरत न रही।
 
ज़रूरत कहीं अन्यत्र पूरी हो गयी या ज़रूरत ख़त्म 
ज़रूरत बदल गयीं क्या ? कि अब मेरी ज़रूरत न रही। 

मत आने दो जीवन में वो वक़्त कि तुमसे कोई कहे 
जहाँ जाओ जो करो, अब तुम्हारी ज़रूरत न रही। 

आयी बहारें

चारों तरफ मंद मंद सी पवन 
झूमने लगा है ये मदमस्त मन
 
घुमड़ घुमड़ बादल छा रहे गगन 
बूंदें बरस रहीं, ज्यूँ आया सावन
 
प्यास धरती की, देखो बुझा रहा 
सौंधी महक से महका, घर आँगन 

पात पात धुल गया, उगे नए पत्ते
छायी हरियाली, चमके वन उपवन

हवाओं में फैली गजब की खुशबू
आयी बहारें!आ जाओ,अब तो साजन! 
                  ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️

झुनझुना

मज़बूरी का झुनझुना मत स्वयं को पकड़ा
स्वतंत्रता से हमेशा …..अपनी राह चमका
दूजे पर निर्भर रहें…… ख़ुद का है अपमान
स्वावलंबन-संजीवनी…. से जीवन दमका

✍️सीमा कौशिक ‘मुक्त’ ✍️