सूनी मन की गलियाँ सूनी आँखे भी आ दरस दिखा सइयाँ नज़रों से बात करो लब से ना कहना जाहिर न जज़्बात करो मीठी सी बात करो चाहे गुड़ मत दो गुड़ जैसी बात करो ये शाम सुहानी है हाथों में हाथ रहे मदमस्त जवानी है
सूनी मन की गलियाँ सूनी आँखे भी आ दरस दिखा सइयाँ नज़रों से बात करो लब से ना कहना जाहिर न जज़्बात करो मीठी सी बात करो चाहे गुड़ मत दो गुड़ जैसी बात करो ये शाम सुहानी है हाथों में हाथ रहे मदमस्त जवानी है