चाहे जितनी भी दूरी थी चाहे कितनी मज़बूरी थी पास रहे फिर भी दूरी थी तेरे होने का अहसास रहा मुझे अक्सर तेरा ध्यान रहा कब कैसे बच्चे बड़े हुए अपने शत्रु बन खड़े हुए कब सेहत ने दिया धोखा दिल ने बार बार रोका मुझे अक्सर तेरा ध्यान रहा इक छोटा सा घर बनाना था प्यार से उसे महकाना था कभी पूर्ण स्वप्न कर पाओगे दिल खोल मुझे अपनाओगे मुझे अक्सर तेरा ध्यान रहा टूटे बिखरे सपने मेरे आधी अधूरी ख्वाहिश हैं माँ बाप जहाँ को छोड़ गए बच्चों का अपना जीवन है मुझे अक्सर तेरा ध्यान रहा हालात रहे चाहे जैसे कभी ऐसे या कभी वैसे बस तेरा ही आह्वान रहा मुझे अक्सर तेरा ध्यान रहा ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️