यूँ तो किसी को किसी की भी सदा ज़रूरत नहीं होती पर ये सुनना बड़ा मुश्किल ! अब मेरी ज़रूरत न रही। कुछ नहीं रहता बाकी कहने सुनने को,सब सकल ख़त्म जब बोल दिया अपनो ने ! अब मेरी ज़रूरत न रही। ज़रूरत कहीं अन्यत्र पूरी हो गयी या ज़रूरत ख़त्म ज़रूरत बदल गयीं क्या ? कि अब मेरी ज़रूरत न रही। मत आने दो जीवन में वो वक़्त कि तुमसे कोई कहे जहाँ जाओ जो करो, अब तुम्हारी ज़रूरत न रही।
सुंदर
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thank you so much ! 🌹🌹
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प्रशंसनीय रचना 👌
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thank you so much !🌹🌹
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