धुली धुली सी है धरा, धुला धुला सा है गगन तप्त हवाएँ सर्द हुईं ....खिल उठा ह्रदय सुमन है पात पात धुल गया, महक उठा सारा चमन आसमाँ को एकटक.........निहारते मेरे नयन ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
Month: May 2022
मेरा बेटा
मेरा बेटा मेरा दिल मेरा अहसास मेरे दिल की धड़कन, है मेरी श्वास वो हर बार हर परिस्थिति में अलग ही किरदार निभाता है कभी माँ कभी बाप कभी भाई कभी दोस्त और बेटा तो वो है ही वो माँ बन जाता है जब प्यार से सर सहलाता है वो बाप बन जाता है जब गलती पर समझाता है वो भाई बन सारे अहसास साझा करता है वो मेरा सबसे अच्छा दोस्त है जो मुझे सिर्फ समझता नहीं मार्ग दर्शन भी करता है समझ नहीं पाऊँ मैं वो कैसे दूर तक सोच और देख पाता है हर गम ज़माने का भूल जाती हूँ जब उसे गले लगाती हूँ वो तो मेरा प्यारा बेटा है पता नहीं मैं उतनी अच्छी माँ हूँ या नहीं भगवान का सुन्दर उपहार, उसका प्यार! अपने प्रति प्यार देख उसी के लिए डरती हूँ या रब !उसके जीवन को खुशियों से भर दे ! लबों पे मुस्कान दे ! दुनिया में नाम दे ! उसे कभी कोई कमी न हो ! सदा सदबुद्धि रहे और रहे तेरा आर्शीवाद भी ! उसके लिए मेरी दुआएँ कबूल हों !आमीन ! ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
169.दोहा
दूरी से भी हम रखें , इक दूजे का ध्यान
दुआ ह्रदय से हम करें , रखें प्यार का मान
✍️सीमा कौशिक ‘मुक्त’ ✍️
168.दोहा
*सबसे प्यारी है मगर,कहती सच्ची बात*। *बुरा लगता कभी अगर, समझो तुम जज़्बात*।। ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
167.दोहा
*चकर-पकर करती रहे, चहके वो दिन-रात*। *जब भी होती मौन वो, भाये दाल न भात*।। ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
166.दोहा
*माँ से दूर जहान में, ख़ुशियाँ चाहे लाख* *आज़ादी भी है मगर, माँ के बिन सब राख* ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
165.दोहा
*नैन मिलें जब नैन से, दिल की दिल से बात* *लब चाहे खामोश हों, दिल समझे जज़्बात* ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
अहसास
कोई चाहे दूर हो, चाहे हो वो पास दिल अगर है जुड़ा हुआ, साझा हर अहसास साझा हर अहसास, रहे हृदयों का बंधन दर्द एक को होय, करे है दूजा क्रंदन प्रेम का ये सबूत, द्विपक्षी आँखें रोईं ये बंधन मज़बूत, न तोड़ सकेगा कोई ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
164.दोहा
फुलवारी ये प्रेम की, जिसे कहे परिवार
प्यार आदर यकीन से, रहे सुदृढ़ आधार
✍️सीमा कौशिक ‘मुक्त’ ✍️
163.दोहा
अपनाओ तन-मन ह्रदय, पूर्ण प्रेम से पाग रिश्तों को नव मायने, रोज़ बढे अनुराग ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️