विधा: मुक्तक १/ तन मन भीगे प्यार से.....होती सुनहरी भोर तेरा मेरा साथ रहे .........सुन मेरे चित्तचोर इस जीवन में उकेरें हम .......इंद्रधनुषी रंग झूम झूम कर नाचे इस पगले दिल का मोर २/ सावन में साजन की आवन दृश्य लगते सभी मनभावन इंद्रधनुष के सप्त-रंग से नित खिले ये प्रीत है पावन ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
वाह, बहुत सुंदर |
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