रह रह के दिल दर्द से भरता क्यों है सब कुछ है पर दिल में उदासी क्यों है सबकी कमियों पे रुक जाती है नज़र या रब जहाँ में प्यार की कमी क्यों है दर्द देना सहना इन्सां की आदत ठहरी फिर दर्द से इतना दिल दुखता क्यों है बदनामी का तोहफा इक दूजे को यहाँ हर चेहरे पे चेहरा क्यों है बिखरी है जमाने में ख़ुशियाँ हरसूँ फिर दिल पे मायूसियों का पहरा क्यों है ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️