आसमाँ सा सर पे वो चढ़ने लगा है धरा मान वो यूँ ही अकड़ने लगा है आसमाँ है करे सोच भी आसमाँ सी ख़्वामख़्वाह वो सबपे अकड़ने लगा है ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
आसमाँ सा सर पे वो चढ़ने लगा है धरा मान वो यूँ ही अकड़ने लगा है आसमाँ है करे सोच भी आसमाँ सी ख़्वामख़्वाह वो सबपे अकड़ने लगा है ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️