वो दे के दर्द उससे मुस्कान मांगे है पौधा नीम का बोकर क्यों आम मांगे है हरेक बात पर उसकी वो चुप रही शायद इसीलिए वफ़ा का वो पैग़ाम मांगे है ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
वो दे के दर्द उससे मुस्कान मांगे है पौधा नीम का बोकर क्यों आम मांगे है हरेक बात पर उसकी वो चुप रही शायद इसीलिए वफ़ा का वो पैग़ाम मांगे है ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️