जिनकी आँखों में वहशत और अंगारे हैं वो दूजों से कम खुद से ही सदा हारे हैं जो दूसरों को डराते हैं धमकियाँ देकर रब की बे-आवाज़ लाठी ने ही मारे हैं
जिनकी आँखों में वहशत और अंगारे हैं वो दूजों से कम खुद से ही सदा हारे हैं जो दूसरों को डराते हैं धमकियाँ देकर रब की बे-आवाज़ लाठी ने ही मारे हैं