मानव, याद य बात हो, खींचे हमें अतीत
दे आँसू, छीने हँसी, झगड़ा हो या प्रीत
झगड़ा हो या प्रीत, दूर रहना ही अच्छा
अपने से कर प्रेम, निरंतर कम हों इच्छा
कम कर मन उदगार, रहे निकट सदा राघव
अतीत से रह दूर, हमेशा ख़ुश रह मानव …..
✍️ सीमा कौशिक ‘मुक्त’ ✍️
मानव, याद य बात हो, खींचे हमें अतीत
दे आँसू, छीने हँसी, झगड़ा हो या प्रीत
झगड़ा हो या प्रीत, दूर रहना ही अच्छा
अपने से कर प्रेम, निरंतर कम हों इच्छा
कम कर मन उदगार, रहे निकट सदा राघव
अतीत से रह दूर, हमेशा ख़ुश रह मानव …..
✍️ सीमा कौशिक ‘मुक्त’ ✍️