कोई किसी के जैसा कब बन पाता है विविध रंगों से ही ये जगत लुभाता है किसी और के जैसा कोई बने भी क्यों हर जीव में ईश्वर-अंश जगमगाता है ️✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
कोई किसी के जैसा कब बन पाता है विविध रंगों से ही ये जगत लुभाता है किसी और के जैसा कोई बने भी क्यों हर जीव में ईश्वर-अंश जगमगाता है ️✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️