साधना-सा रहा जीवन, ये बगिया प्रेम से सींची सदा अपने लिए ख़ुद ही, लक्ष्मण-रेखाएँ खींची उसकी तरफ"बुरी नज़र"नहीं डालो ये तुम मानो कोई बचा न पायेगा, जो रब ने मुट्ठियाँ भींची ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
साधना-सा रहा जीवन, ये बगिया प्रेम से सींची सदा अपने लिए ख़ुद ही, लक्ष्मण-रेखाएँ खींची उसकी तरफ"बुरी नज़र"नहीं डालो ये तुम मानो कोई बचा न पायेगा, जो रब ने मुट्ठियाँ भींची ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️