कहते हैं ये तन्हाई, राज़ सब खोल देती है क्या शय है जो भीतर के, भेद सब खोल देती है सभी कहते हैं ज़िन्दगी ये, फ़क़त चार दिन की है चार दिवस की सच्चाई, पोल सब खोल देती है ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
कहते हैं ये तन्हाई, राज़ सब खोल देती है क्या शय है जो भीतर के, भेद सब खोल देती है सभी कहते हैं ज़िन्दगी ये, फ़क़त चार दिन की है चार दिवस की सच्चाई, पोल सब खोल देती है ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
वाह बहुत खूब |
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shukriya aabhaar aapka dil se 🌹🌹
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