अंतर्मन को जो छल जाए, उसको माफ़ न करना तुम ऐ नारी अपने संग यूँ , घोर खिलवाड़ न करना तुम व्यर्थ न करना दया भावना, ऐसे मूर्ख मानव पर नारी को जो कमतर समझे उसको भाव न देना तुम ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
अंतर्मन को जो छल जाए, उसको माफ़ न करना तुम ऐ नारी अपने संग यूँ , घोर खिलवाड़ न करना तुम व्यर्थ न करना दया भावना, ऐसे मूर्ख मानव पर नारी को जो कमतर समझे उसको भाव न देना तुम ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️