आँखों में था ख़ुमार, मगर भूलना पड़ा अपनों में था शुमार, मगर भूलना पड़ा सैलाबे-अश्क़ आँखों में, यूँ उमड़ पड़ा दिल में इश्क़े-गुबार, मगर भूलना पड़ा ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
Month: September 2022
फ़ोन
प्यार के बदले प्यार निभाया जाता है फ़ोन पे कब सब कुछ बतलाया जाता है कौन मेरे अहसासों को तुम बिन समझे हाल अपनों को ही समझाया जाता है ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
गुंजाइश
*रिश्तों में सुधार की जहाँ ख़त्म गुंजाइशें* *समझाना है जैसे दीवार पर सर फोड़िये* ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
266.दोहा
*बनिए-सा इस प्यार को, तू न तराजू तोल* *जितना प्यार मिले तुझे, उतना तो दे मोल* ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
माफ़ी
*माफ़ी मंगवाने की ज़िद्द सदा तेरे रिश्ते की कब्र में आखिरी कील* *गलती महसूस होगी तो आएगी माफ़ी, वर्ना तू ख़ुद होगा ज़लील* *सब अपने गिरेबान में झाँक कर तो देखें कभी अपनी अपनी गलतियाँ* *हर शख़्स को आइना देखना ज़रूरी, वर्ना अक्सर देगा गलत दलील* ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
265.दोहा
*कितना मुश्किल जानना, सही-गलत का भेद* *इसमें जब उलझे तभी, दिल में उपजे खेद * ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
264.दोहा
शक्की, कच्चे कान हों ,यदि है मन कमज़ोर कितना भी धनवान हो, अनुभव रहें कठोर ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
262.दोहा
शान तिरंगे की रहे, मन में पूरा मान लहराए ऊँचा सदा, बढ़े देश की शान ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
263.दोहा
मौन की रहे साधना, तन्हाई का मेल प्रभु से ऐसी लौ लगे, जीवन लगता खेल ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
261.दोहा
जीवन में हो प्रेम ही, सबसे सुंदर भाव इसका साथ न छोड़ना, छोड़ें तो दे घाव ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️