भूलना

आँखों में था ख़ुमार, मगर भूलना पड़ा 
अपनों में था शुमार, मगर भूलना पड़ा 
सैलाबे-अश्क़ आँखों में, यूँ उमड़ पड़ा  
दिल में इश्क़े-गुबार, मगर भूलना पड़ा 
         ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️

फ़ोन

प्यार के बदले प्यार निभाया जाता है
फ़ोन पे कब सब कुछ बतलाया जाता है 
कौन मेरे अहसासों को तुम बिन समझे                                                    
हाल अपनों को ही समझाया जाता है 
         ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️

माफ़ी

 *माफ़ी मंगवाने की ज़िद्द सदा  तेरे रिश्ते की कब्र में आखिरी कील*  
 *गलती महसूस होगी तो आएगी माफ़ी, वर्ना तू ख़ुद  होगा ज़लील*
 *सब अपने गिरेबान में झाँक कर तो देखें कभी अपनी अपनी गलतियाँ* 
 *हर शख़्स को आइना देखना ज़रूरी, वर्ना अक्सर देगा गलत दलील*  
                           ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️