उन नज़रों की तपिश से पिघले तो घबरा गए हम दिल धड़कने लगा जोरों से और आँखें हुई नम बेखबर थे अंदर की अनबुझी आग या प्यास से और क्या कहूँ ! इसके बाद हम भी तड़पे नहीं कम ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
उन नज़रों की तपिश से पिघले तो घबरा गए हम दिल धड़कने लगा जोरों से और आँखें हुई नम बेखबर थे अंदर की अनबुझी आग या प्यास से और क्या कहूँ ! इसके बाद हम भी तड़पे नहीं कम ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
very nice.
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thanks🌹🌹
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