🌹🌹प्यार की बारीक सुई से उसने की पत्थर दिल पर नक्काशी दिल के तपते सेहरा में यूँ नखलिस्तान की उम्मीद जगा दी लगता था जिसे नहीं पहुँचती आसमानों तक सदायें उसकी जाने कैसे उसने उसकी ख़्वाहिश में रब की मर्ज़ी मिला दी 🌹🌹 ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
🌹🌹प्यार की बारीक सुई से उसने की पत्थर दिल पर नक्काशी दिल के तपते सेहरा में यूँ नखलिस्तान की उम्मीद जगा दी लगता था जिसे नहीं पहुँचती आसमानों तक सदायें उसकी जाने कैसे उसने उसकी ख़्वाहिश में रब की मर्ज़ी मिला दी 🌹🌹 ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️