चाह, सराह, प्यार भरी बातों से दिल में उतरने का हुनर रख अपने महबूब को सर-आँखों पे ,बिठाने का जज़्बा-ओ-हुनर रख आसमान-सा छा तू उसकी हस्ती पर, मिटा दे उसके सब गम अपने सनम को खूबसूरत ग़ज़ल-सा ,गुनगुनाने का हुनर रख ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
चाह, सराह, प्यार भरी बातों से दिल में उतरने का हुनर रख अपने महबूब को सर-आँखों पे ,बिठाने का जज़्बा-ओ-हुनर रख आसमान-सा छा तू उसकी हस्ती पर, मिटा दे उसके सब गम अपने सनम को खूबसूरत ग़ज़ल-सा ,गुनगुनाने का हुनर रख ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️